मेथी की ताजी हरी पत्तियों की सब्जी जिसमें स्वादानुसार अदरक और लहसून भी मिलाया गया हो, निम्न रक्तचाप में काफी कारगर साबित होती है। रोगी को अधिक से अधिक इस सब्जी का सेवनकरना चाहिए। इससे जल्द ही रक्तचाप सामान्य होने में मदद मिलती है।
कमल के फूलों (करीब 3) को गर्म पानी में डुबो दिया जाए और बाद में इन्हें मसल लिया जाए। इसे छानकर स्वादानुसार शक्कर मिलाकर उच्च रक्तचाप के रोगियों को प्रतिदिन सुबह दिया जाए, तो आराम मिलता है।
सर्पगंधा की जड़ों का चूर्ण (2 ग्राम) प्रतिदिन दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ मिलाकर सेवन करने से एक माह के भीतर उच्च रक्त चाप के रोगियों पर असर दिखने लगता है।
हींग का सेवन भी उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए बढ़िया माना जाता है। यह खून को गाढ़ा करने में मददगार होता है और एक उद्दीपक की तरह कामकरता लहसुन की दो कच्ची कलियां प्रतिदिन सवेरे खाली पेट चबाने से भी रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
प्याज उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए काफी कारगर है। प्रतिदिन कच्चे प्याज का सेवन हितकर होता है।
जटामांसी की जड़ों का काढ़ा तैयारकर निम्न रक्तचाप (लो रक्तचाप) से ग्रस्त रोगियों को दें। प्रतिदिन दिन में 2 बार इस काढ़े का 3 मिली सेवन किया जाए, तो यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
लेंडी पीपर के फल (2 ग्राम) और अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण (3 ग्राम) दिन में एक बार प्रातः गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
उच्च रक्त चाप से ग्रस्त लोगों को कटहल की सब्जी, पके कटहल के फल और कटहल की पत्तियों का रस नियमित तौर पर पीना चाहिए।
पत्थरचूर की जड़ों का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर लेने से उच्च रक्तचाप में फायदा होता है। इसका सेवन लगातार 2 माह तक करने से काफी फायदा होता है।
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