बवासीर दो प्रकार की होती है, खूनी और बादीवाली। खूनी बवासीर में मस्से खूनी सुर्ख होते है और उनसे खून गिरता है, जबकि बादीवाली बवासीर में मस्से काले रंग के होते है और मस्सों में खाज पीडा और सूजन होती है।
एक छोटी चम्मच धुले काले तिल ताजा मक्खन के साथ लेने से बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।
50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए। ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस लीजिए। प्रतिदिन सुबह इस चूर्ण को पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर में बहुत आराम मिलता है।
नियमित रूप से गुड़ के साथ हरड़ खाने से बवासीर में जल्दी ही फायदा होता है।
नागकेशर, मिश्री और ताजा मक्खन को रोजाना बराबर मिलाकर 10 दिन तक खाने से बवासीर में बहुत आराम मिलता है।
जमीकंद को देसी घी में बिना मसाले के भुरता बनाकर खाएँ, शीघ्र ही लाभ मिलेगा।
सुबह खाली पेट मूली का नियमित सेवन भी बवासीर को खत्मकर देता है।
एक पके केले को बीच से चीरकर उसके दो टुकड़ेकर लें फिर उस पर कत्था पीसकर छिड़क दें। शाम को इस केले को खुले आसमान के नीचे रख दें। सुबह शौच के बाद उस केले को खा लें। एक हफ्ते तक लगातार करने से भयंकर से भयंकर बवासीर भी समाप्त हो जाती है।
खूनी बवासीर में एक नीबू को बीच में से काटकर उसमें लगभग 4-5 ग्राम कत्था पीसकर डाल दीजिए। इन दोनों टुकड़ों को रात में छत पर खुला रख दीजिए। सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होने के बाद इन दोनों टुकड़ों को चूस लीजिए। पांच दिन तक इस प्रयोग को कीजिए, बहुत फायदा होगा।
करीब दो लीटर मट्ठा लेकर उसमें 50 ग्राम पिसा जीरा और थोड़ा सा सेंधा नमक मिला दें। पूरे दिन पानी की जगह यह मट्ठा पियें। पाँच-सात दिन तक यह प्रयोग करें, मस्से ठीक हो जाएंगे।
छोटी पिप्पली को पीसकर उसका चूर्ण बना ले, इसे शहद के साथ लेने से भी आराम मिलता है।
नीम के छिलके सहित निंबौरी के पावडर का 10 ग्राम रोज सुबह बासी पानी के साथ सेवन करें, लाभ होगा। लेकिन इसके साथ आहार में घी का सेवन आवश्यक है।
जीरे को पीसकर मस्सों पर लगाने से भी फायदा मिलता है। जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसने से भी फायदा मिलता है।
एक चम्मच आंवले का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ लेने से भी बवासीर में लाभ प्राप्त होता है।
नीम का तेल मस्सों पर लगाने और 4-5 बूँद रोज पीने से बवासीर में बहुत लाभ होता है।
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