ककड़ी स्वाद में मधुर , मूत्रकारक , वातकारक , स्वादिष्ट तथा पित्त का " शमनकरनेवाली होती है ।
उल्टी , जलन , थकान , प्यास , रक्तविकार , मधुमेह में ककड़ी फायदेमंद हैं ।
ककड़ी के अत्यधिक सेवन से अजीर्ण होने की शंका रहती है , परन्तु भोजन के साथ ककड़ी का सेवनकरने से अजीर्ण का शमन होता है ।
ककड़ी का रस निकालकर मुंह , हाथ व पैर पर लेपकरने से वे फटते नहीं हैं तथा मुख सौंदर्य की वृध्दि होती है ।
बेहोशी में ककड़ी काटकर सुंघाने से बेहोशी दूर होती है ।
ककड़ी के बीजों को ठंडाई में पीसकर पीने से ग्रीष्म ऋतु में गर्मीजन्य विकारों से छुटकारा प्राप्त होता है ।
ककड़ी के बीज पानी के साथ पीसकर चेहरे पर लेपकरने से चेहरे की त्वचा स्वस्थ व चमकदार होती है ।
ककड़ी के रस में शक्कर या मिश्री मिलाकर सेवनकरने से पेशाब की रुकावट दूर होती है ।
ककड़ी की मींगी मिश्री के साथ घोंटकर पिलाने से पथरी रोग में लाभ पहुंचता है ।
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