सूरजमुखी की पत्तियों को इसी के तेल के साथ कुचला जाए और बवासीर के रोगी को बाह्यरूप से लेपित किया जाए तो आराम मिलता है ।
अपच और पेट में गड़बड़ी होने पर गर्म दूध में सूरजमुखी का तेल ( 4 - 5 बूंदें ) डाल दिया जाए और सेवन किया जाए तो समस्या दूर हो जाती है ।
शारीरिक दुर्बलता और कमजोरी में सूरजमुखी की पत्तियों का रस बड़ा गुणकारी है , इस हेतु लगभग 5 पत्तियां लेकर 100 मिली पानी में तब तक उबाला जाए जब तक कि यह आधा शेष बचे और फिर इसका सेवन किया जाए ।
सूरजमुखी के बीजों से प्राप्त तेल त्वचा और बालों की बेहतरी के लिए उत्तम होता है । प्रतिदिन त्वचा पर इस तेल से हल्की हल्की मालिशकरने से त्वचा स्वस्थ रहती है और लंबे समय से बने किसी तरह के दाग - धब्बे में मिटने लगते हैं ।
जिन्हें पेशाब जाने में दिक्कत आती है , उन्हें इसके बीजों ( एक चम्मच ) को कुचलकर गुनगुने पानी के साथ पीना चाहिए , पेशाब का आना नियमित और निरंतर हो जाता है ।
जिन्हें उच्च रक्तचाप की शिकायत हो , वे सूरजमुखी के बीजों से प्राप्त तेल को खाद्य तेल के तौर अपनाएं ।
इसकी पत्तियों का रस निकालकर मलेरिया आदि में बुखार आने पर शरीर पर लेपित किया जाता है । यह रस शरीर के तापमान को नियंत्रितकरने में मददकरता है और जल्द ही बुखार भी उतर जाता है ।
जी मिचलाना और उल्टी होने जैसे विकारों में सूरजमुखी के बीजों का तेल ( 2 बूंद ) यदि नाक में डाल दिया जाए तो आराम मिलता है ।
कान में कीड़ा चला जाने पर सूरजमुखी के तेल में लहसुन की दो कलियां डालकर गर्मकरें और फिर इस तेल की कुछ बूंदें कान में डालें । कुछ ही देर में कीट मरकर तेल के साथ बाहर निकल आता है ।
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